
सुरजेवाला ने इस अपराध को अक्षम्य और आत्मा को झकझोर देने वाला हत्याकांड करार देते हुए, कानून की धज्जियां उड़ाने वाले हत्यारों और उनके काले कारनामों को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि 2014 में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के साथ ही एक जमीन डेवलपर, सुमित कुमार नरवर, का उदय हुआ। 2014 से 2021 तक हरियाणा की सत्ता के गलियारों में हर कोई सुमित कुमार नरवर और भाजपा सरकार में उसकी पहुंच व दबदबे से वाकिफ था। सुमित नरवर की मुख्य कंपनी, ट्राइडेंट होल्डिंग कॉर्पोरेशन LLP, 310, प्रकाशदीप बिल्डिंग, 7 टॉल्सटॉय मार्ग, नई दिल्ली, इंडिया – 110001 में स्थित है, जिसमें सुमित कुमार नरवर और पूनम नरवर पार्टनर हैं। पहले इसका नाम ट्राइडेंट रियल्टी था, जिसके सरकारी रिकॉर्ड संलग्नक A1 में हैं।
ट्राइडेंट पार्क टाउन प्राइवेट लिमिटेड का विवाद पानीपत जिले के निजामपुर गांव के एक गरीब किसान विजेंद्र कुमार के साथ चल रहा था। पानीपत प्रशासन ने तेजी से कार्रवाई करते हुए किसान के हकों को खारिज कर सुमित नरवर की कंपनी के पक्ष में फैसला दे दिया। पानीपत प्रशासन की भूमिका संदेह के घेरे में है, और यह स्पष्ट है कि प्रशासन हरियाणा सचिवालय में बैठे प्रभावशाली लोगों के दबाव में काम कर रहा है। किसान परिवार ने बताया कि यह मामला हाईकोर्ट में है।
सुरजेवाला ने सरकार, प्रशासन और पुलिस की मिलीभगत पर सवाल उठाए। 2 जून को कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई। 3 जून, 2025 को दोपहर 12:46 बजे एफआईआर दर्ज की गई (संलग्नक A6), वह भी तब, जब किसानों ने पुलिस स्टेशन पर धरना दिया। एफआईआर में हत्यारों का नाम नहीं लिखा गया ताकि बाद में मामला दबाया जा सके। विजेंद्र को जलाकर मारने को सिर्फ “शक” बताया गया, कंपनी का नाम गलत लिखा गया, और न ही सुमित नरवर या कंपनी के डायरेक्टरों का नाम शामिल किया गया। हत्या का कारण भी नहीं लिखा गया, जिससे साफ है कि प्रभावशाली कंपनी मालिकों को बचाने और मामले को रफा-दफा करने की साजिश रची गई।
सुरजेवाला ने मुख्यमंत्री नायब सैनी से सात सवाल पूछे: सुमित कुमार नरवर कौन हैं और उनका भाजपा सरकार से क्या रिश्ता है? क्या अब बिल्डर लॉबी को जमीन न देने पर किसानों को जिंदा जलाकर मार दिया जाएगा? क्या किसी कंपनी को विवादित जमीन के मालिक को जलाकर मारने का हक है? 2 जून को हत्या होने के बावजूद 3 जून को एफआईआर क्यों दर्ज हुई, और पुलिस विजेंद्र के अंतिम वीडियो पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही? पुलिस ने कंपनी मालिकों और डायरेक्टरों पर हत्या का मुकदमा क्यों नहीं दर्ज किया, और क्या भाजपा सरकार प्रभावशाली कंपनी को बचा रही है? क्या मुख्यमंत्री कंपनी का लाइसेंस रद्द करेंगे और जिम्मेदारी लेंगे? क्या वे पंचकूला, गुरुग्राम और फरीदाबाद में सुमित नरवर की सभी कंपनियों की जांच करवाएंगे? क्या मुख्यमंत्री हाईकोर्ट के सिटिंग जज से हत्या की जांच करवाएंगे, क्योंकि सरकार और प्रशासन की मिलीभगत साफ है? क्या मुख्यमंत्री विजेंद्र के परिवार को 2 करोड़ रुपये का अंतरिम मुआवजा देंगे?