
हरियाणा के सरकारी स्कूलों में 15,659 शिक्षकों की भारी कमी है। यह जानकारी शिक्षा मंत्री महिपाल धांडा ने हरियाणा विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों के आधार पर दी। यह जानकारी पूर्व शिक्षा मंत्री और झज्जर से कांग्रेस विधायक गीता भुक्कल द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में सामने आई।
आंकड़ों के अनुसार, राज्य में स्वीकृत 1,15,325 पदों की तुलना में केवल 99,666 शिक्षक कार्यरत हैं। इनमें 80,640 नियमित शिक्षक, 11,916 अतिथि शिक्षक और 7,110 हरियाणा कौशल रोजगार निगम (HKRN) के माध्यम से नियुक्त किए गए शिक्षक शामिल हैं।
रिक्त पदों को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है – “रेस्ट ऑफ हरियाणा कैडर” में 12,312 और “मेवात कैडर” में 3,347 शिक्षकों की कमी है। पोस्ट ग्रेजुएट टीचर (PGT) कैडर में सबसे अधिक 8,519 पद खाली हैं। इसके बाद ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर (TGT) के 4,583 और प्राथमिक शिक्षक (PRT) के 2,557 पद रिक्त हैं।
यमुनानगर में सर्वाधिक शिक्षकों की कमी
हरियाणा के जिलों में यमुनानगर में सबसे अधिक 1,914 पद खाली हैं। इसके बाद पलवल में 1,484, सिरसा में 1,154, अंबाला में 1,183 और फरीदाबाद में 1,090 शिक्षकों की कमी दर्ज की गई है।
मेवात क्षेत्र में भी शिक्षा की स्थिति गंभीर बनी हुई है, जहां 3,347 पद खाली हैं। इनमें 1,693 प्राथमिक शिक्षक, 1,088 ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर (TGT) और 566 पोस्ट ग्रेजुएट टीचर (PGT) पद शामिल हैं। पहले से ही शिक्षा में पिछड़े मेवात क्षेत्र में यह कमी भर्ती प्रक्रिया को तेज करने की आवश्यकता को दर्शाती है।
सरकार ने भर्ती प्रक्रिया शुरू की
इस मुद्दे पर जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री महिपाल धांडा ने विधानसभा को बताया कि सरकार ने शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है। उन्होंने जानकारी दी कि मेवात में 1,456 PRT पदों को हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) को भेजा गया है, 3,427 TGT पदों को हरियाणा कौशल रोजगार निगम (HKRN) के माध्यम से भरा जा रहा है और 4,780 PGT पद हरियाणा लोक सेवा आयोग (HPSC) को भेजे गए हैं, जिनमें से 1,672 पदों के लिए नियुक्ति की सिफारिश की गई है।
इसके अलावा, 4,550 PGT शिक्षकों को पदोन्नति दी जा रही है, जिनमें से 3,371 मामलों की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।
सरकार पर विपक्ष का हमला
द ट्रिब्यून से बातचीत में पूर्व शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने सरकार की नीति की आलोचना की। उन्होंने कहा कि “HKRN के माध्यम से नियुक्त शिक्षकों को नियमित शिक्षकों की तुलना में केवल 50% वेतन मिलता है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।”
उन्होंने सरकार पर स्कूल बंद करने का भी आरोप लगाया। “पिछले वर्ष सरकार ने 1,203 स्कूलों को छात्र संख्या में गिरावट के कारण आपस में मिला दिया। स्कूलों को बंद करना शिक्षा में सुधार नहीं, बल्कि एक नकारात्मक संकेत है,” उन्होंने कहा।
विशेषज्ञों का मानना है कि शिक्षकों की कमी के कारण हजारों छात्र प्रभावित हो रहे हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए समय पर भर्ती और बेहतर वेतन प्रोत्साहन आवश्यक हैं।