महाकुंभ के बाद भी 869 लोग लापता, 45 दिनों में 35,952 केस दर्ज

महाकुंभ के बाद भी 869 लोग लापता

महाकुंभ में 30 देशों से श्रद्धालु पहुंचे। 45 दिनों के आयोजन में 66.32 करोड़ लोगों ने स्नान किया। इतने बड़े आयोजन के लिए मेला क्षेत्र में ‘खोया-पाया’ केंद्र बनाया गया था। यह केंद्र उन लोगों के लिए था, जो भीड़ में अपने परिजनों से बिछुड़ गए। उनकी जानकारी यहां दर्ज की जाती थी।

45 दिनों में इस केंद्र पर 35,952 केस दर्ज हुए। महाकुंभ समाप्त होने के बाद यह केंद्र बंद कर दिया गया है। हालांकि, अब भी 869 केस अनसुलझे हैं और कई परिवार अपने प्रियजनों की तलाश में हैं।

निजी संस्थाओं ने भी की मदद

महाकुंभ में बिछड़ों को मिलाने के लिए निजी संस्थाएं भी आगे आईं। भारत सेवा केंद्र और हेमवती नंदन बहुगुणा स्मृति संस्थान ने इस दिशा में सहयोग किया।

भारत सेवा केंद्र के उमेश चंद्र तिवारी ने बताया, “महाकुंभ समाप्त होने तक हमारे शिविर ने 19,274 लोगों को उनके परिजनों से मिलाया। इसके अलावा, 18 बिछड़े बच्चों को भी उनके परिवारों तक पहुंचाया गया।”

अभी भी 869 परिवार अपने प्रियजनों की राह देख रहे

प्रयागराज महाकुंभ संपन्न हो चुका है, लेकिन 869 परिवार अब भी अपने प्रियजनों के लौटने का इंतजार कर रहे हैं। महाकुंभ के 45 दिनों में 30 देशों से श्रद्धालु पहुंचे थे। मकर संक्रांति के बाद श्रद्धालुओं की संख्या अचानक बढ़ गई। हर दिन 1 से 1.5 करोड़ लोग प्रयागराज पहुंच रहे थे। इससे हाईवे जाम हो गए, और गाड़ियों को 4-5 घंटे का अतिरिक्त समय लग रहा था।

प्रयागराज पहुंचने के बाद भी वाहनों को 12-15 किमी पहले पार्क कर दिया जाता था, और लोगों को पैदल घाटों तक जाना पड़ता था। इस कारण कई श्रद्धालु अपने परिजनों से बिछड़ गए। अब हर दिन 2 से 2.5 लाख श्रद्धालु ही आ रहे हैं, जिससे हाईवे पर भीड़ कम हो गई है।

संगम स्नान और श्रद्धालुओं की भीड़

महाकुंभ से पहले संगम पर प्रतिदिन 50,000 श्रद्धालु आते थे। लेकिन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के बाद यह संख्या पांच गुना बढ़ गई। महाकुंभ के आठ दिनों में 18 से 20 लाख श्रद्धालु संगम स्नान के लिए पहुंचे। स्नान के बाद वे लेटे हुए हनुमानजी के दर्शन कर रहे हैं और मेला क्षेत्र में खरीदारी कर रहे हैं।

बाजारों में अब भी खरीदारी जारी

महाकुंभ के दौरान 10,000 से अधिक दुकानें लगी थीं। मेला समाप्त होने के बावजूद, कई दुकानदार अभी भी डटे हुए हैं। परेड क्षेत्र में अब भी श्रद्धालु खरीदारी कर रहे हैं। त्रिवेणी बाजार में भी मेला जैसा माहौल बना हुआ है।

पूजा और घरेलू सामान बेचने वाले दुकानदार राजकुमार बताते हैं, “2019 के अर्धकुंभ में हमने माघी पूर्णिमा या बसंत पंचमी के बाद दुकान समेट ली थी, लेकिन इस बार श्रद्धालु अभी भी आ रहे हैं। इसलिए हम यहीं पर हैं और व्यापार अच्छा चल रहा है।”

स्टील और प्लास्टिक के बर्तन बेचने वाले दीपक कुमार कहते हैं, “महाकुंभ खत्म होने के बाद भी हम रुके हुए हैं। जब भीड़ अधिक थी, तब खरीदारी कम हो रही थी, लेकिन अब ग्राहकों की संख्या बढ़ रही है।”