

वक्फ-बोर्ड-एक्ट-संशोधन-क्या-मुसलमानों-के-अधिकार-छीनने-की-कोशिश-है-
भारत सरकार ने वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन का प्रस्ताव रखा है, जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता, जवाबदेही और समावेशिता सुनिश्चित करना है। वर्तमान कानून के तहत, वक्फ बोर्डों को किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने के व्यापक अधिकार प्राप्त हैं, जिससे कई विवाद और अनियमितताएँ उत्पन्न हुई हैं।
वक्फ अधिनियम का इतिहास:
वक्फ अधिनियम की शुरुआत 1954 में हुई, जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का उचित प्रबंधन और संरक्षण था। 1995 में, इस अधिनियम में संशोधन कर वक्फ बोर्डों को अधिक शक्तियाँ प्रदान की गईं। 2013 में, यूपीए सरकार ने एक और संशोधन किया, जिससे वक्फ बोर्डों के अधिकार और बढ़ गए। इन संशोधनों के परिणामस्वरूप, वक्फ बोर्डों को किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने का लगभग असीमित अधिकार मिल गया, जिसे न्यायालय में चुनौती देना कठिन हो गया।
संशोधन की आवश्यकता क्यों पड़ी:
असीमित अधिकारों का दुरुपयोग: वक्फ बोर्डों द्वारा किसी भी संपत्ति को बिना पर्याप्त सत्यापन के वक्फ संपत्ति घोषित करने के कई मामले सामने आए हैं, जिससे संपत्ति मालिकों और अन्य समुदायों में असंतोष बढ़ा है। पारदर्शिता की कमी: वक्फ संपत्तियों के राजस्व और उपयोग में पारदर्शिता की कमी है, जिससे आम मुस्लिम समुदाय को लाभ नहीं मिल पा रहा है।
महिलाओं और अल्पसंख्यक समूहों का प्रतिनिधित्व: वर्तमान वक्फ बोर्डों में महिलाओं, शिया, बोहरा और अन्य अल्पसंख्यक मुस्लिम समूहों का प्रतिनिधित्व नगण्य है, जिससे उनके मुद्दों का समाधान नहीं हो पाता।
प्रस्तावित संशोधन क्या हैं:
संपत्ति घोषणा में सत्यापन अनिवार्य: वक्फ बोर्डों द्वारा किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने से पहले अनिवार्य रूप से सत्यापन प्रक्रिया अपनाई जाएगी, जिससे मनमाने दावों पर रोक लगेगी।
बोर्ड की संरचना में बदलाव: वक्फ बोर्डों में महिलाओं, शिया, सुन्नी और अन्य पिछड़े वर्गों के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे सभी समुदायों की भागीदारी बढ़ेगी।
पारदर्शिता और जवाबदेही: वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और प्रबंधन में पारदर्शिता लाने के लिए केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस की स्थापना की जाएगी, जिससे राजस्व और उपयोग की जानकारी सार्वजनिक हो सके।
विपक्ष की प्रतिक्रिया:
विपक्षी दलों ने इन संशोधनों पर चिंता व्यक्त की है। उनका मानना है कि इससे वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता कम हो सकती है और सरकारी हस्तक्षेप बढ़ सकता है। साथ ही, वे वक्फ संपत्तियों की बिक्री या हस्तांतरण की संभावना पर भी सवाल उठा रहे हैं।
वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार, पारदर्शिता और समावेशिता लाने के उद्देश्य से हैं। हालांकि, इन संशोधनों के प्रभावों पर विस्तृत चर्चा और सभी संबंधित पक्षों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेना आवश्यक है, ताकि वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग सुनिश्चित हो सके और सभी समुदायों के हितों की रक्षा हो।