सवाल पूछने में झिझक कैसी

In Psychology
December 15, 2024

अक्सर देखने में आता है कि छात्र-छात्राएं अपने शिक्षक या प्राध्यापक से सवाल पूछने से डरते हैं। इसका सबसे बड़ा मनोवैज्ञानिक कारण है शर्मिंदगी यानी embarrassment से बचना।

छात्रों को ऐसा लग सकता है कि कहीं मेरा सवाल बचकाना ना हो या फिर कोई उसका मजाक ना उड़ा दे। देखने में यह भी आया है कि कई प्राध्यापक और टीचर सवाल पूछने से चिढ़ जाते हैं और भविष्य में किसी रूप में बदला ले सकते हैं, उनको नीचे दिखा सकते हैं। इसलिए छात्र उनसे पंगा नहीं लेना चाहते।

लेकिन सवाल न पूछना आपकी सबसे बड़ी कमजोरी है । सवाल पूछना आपका बुनियादी हक है और आपका सबसे बड़ा अधिकार। क्योंकि आपके माता-पिता ने कड़ी मेहनत करके स्कूल– कॉलेज में फीस जमा की है। आपके द्वारा जमा की गई फीस से कॉलेज स्कूल चलता है और टीचर को सैलरी मिलती है।

सवाल पूछने से यह भी मालूम चल जाता है कि टीचर या प्राध्यापक कितना ज्ञान रखता है। आजकल डिग्री हासिल करना उतना मुश्किल नहीं लोग किसने किसी तरह से डिग्री हासिल करके अधकचरा ज्ञान लेकर टीचर बन जाते हैं। और फिर सवाल पूछने से मुंह मोड़ लेते हैं या चिढ़ जाते हैं।

वैसे यह टीचर का भी उत्तरदायित्व है कि वह अपने छात्रों की हर जिज्ञासा को शांत करें।

क्योंकि आपने अगर आज सवाल पूछने से गुरेज किया तो कल को आपको दिक्कत आ सकती है। जीवन में जब कभी भी कोई जिज्ञासा होगी तो आप उसे शांत नहीं कर पाएंगे। भविष्य में डॉक्टर, सहकर्मी या कोई भी जो आपके जीवन में होगा आप उनसे सवाल पूछने से कतराओगे और हमेशा एक दब्बू किस्म का व्यक्ति बनकर रह जाओगे।

इसलिए सवाल पूछने से डरिए नहीं और ना ही सवाल को लेकर कोई भ्रम पालने की जरूरत है। गलत भी हो तो क्या हुआ जमकर सवाल पूछिए इससे आपकी झिझक भी कम होगी और जिज्ञासा भी शांत होगी।

शिक्षक से सवाल पूछने में हिचकिचाहट: कारण और समाधान

हमारे समाज में शिक्षा को ज्ञान का सबसे महत्वपूर्ण साधन माना जाता है, और शिक्षक को ज्ञान का मार्गदर्शक। लेकिन अक्सर देखा गया है कि कई छात्र शिक्षक से सवाल पूछने में हिचकिचाहट महसूस करते हैं। यह समस्या केवल छोटे बच्चों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि बड़े छात्रों में भी देखने को मिलती है। सवाल पूछने से हिचकिचाहट का यह स्वभाव न केवल छात्र की समझ को बाधित करता है, बल्कि उसके आत्मविश्वास को भी कमजोर करता है। इस लेख में हम समझने की कोशिश करेंगे कि ऐसा क्यों होता है और इसे कैसे दूर किया जा सकता है।

हिचकिचाहट के कारण :

डर का भाव:
कई छात्र सवाल पूछने से इसलिए डरते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनका सवाल “मूर्खतापूर्ण” समझा जाएगा। यह डर उनके आत्मविश्वास को कमजोर करता है और उन्हें चुप रहने पर मजबूर कर देता है।

सामाजिक दबाव:
क्लास में अक्सर सहपाठियों के मजाक उड़ाने या आलोचना का डर भी छात्रों को सवाल पूछने से रोकता है। यह दबाव खासकर उन छात्रों में अधिक होता है जो पहले से ही शर्मीले स्वभाव के होते हैं।

शिक्षक का रुख:
कभी-कभी शिक्षक का कठोर या असहयोगी रवैया भी छात्रों को सवाल पूछने से रोकता है। यदि शिक्षक सवाल पूछने पर गुस्सा करते हैं या मजाक उड़ाते हैं, तो यह प्रवृत्ति और बढ़ जाती है।

स्वयं पर संदेह:
कई बार छात्रों को लगता है कि अगर वे सवाल पूछेंगे तो उनकी कमजोरी उजागर हो जाएगी। वे सोचते हैं कि सवाल पूछने का मतलब है कि वे विषय को ठीक से नहीं समझ पाए।

पर्याप्त जानकारी का अभाव:
कई बार छात्रों को यह समझ में नहीं आता कि सवाल कैसे और किस तरह पूछें। यह भ्रम भी हिचकिचाहट का एक बड़ा कारण बनता है।

समाधान
सकारात्मक माहौल बनाना:
शिक्षक को ऐसा माहौल तैयार करना चाहिए जिसमें छात्रों को यह महसूस हो कि सवाल पूछना सीखने की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है। एक खुले और स्वागतपूर्ण रवैये से छात्र प्रोत्साहित होंगे।

छात्रों को प्रेरित करना:
छात्रों को यह समझाना जरूरी है कि कोई भी सवाल छोटा या बड़ा नहीं होता। हर सवाल ज्ञान को बढ़ाने का एक अवसर है।

सवाल पूछने की कला सिखाना:
छात्रों को यह सिखाया जाना चाहिए कि सवाल कैसे पूछें। शिक्षक उदाहरण के जरिए या चर्चा के माध्यम से छात्रों को सवाल पूछने के लिए तैयार कर सकते हैं।

आत्मविश्वास बढ़ाना:
छात्रों में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए उन्हें छोटी-छोटी उपलब्धियों पर प्रोत्साहित करना चाहिए। आत्मविश्वास बढ़ने से हिचकिचाहट कम होगी।

सहपाठियों को संवेदनशील बनाना:
छात्रों को सहपाठियों का सम्मान करना सिखाना चाहिए। मजाक उड़ाने या आलोचना करने की प्रवृत्ति को खत्म करने के लिए संवाद और सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए।

निष्कर्ष
सवाल पूछना शिक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह केवल छात्र के ज्ञान को गहरा करने में मदद नहीं करता, बल्कि उसे अपने विचार स्पष्ट रूप से व्यक्त करना भी सिखाता है। शिक्षक और छात्रों दोनों की जिम्मेदारी है कि वे इस हिचकिचाहट को दूर करने के लिए कदम उठाएं। ऐसा करके हम एक ऐसा माहौल बना सकते हैं जहां सीखने और सिखाने की प्रक्रिया और भी प्रभावी और आनंदमय हो।

सवाल पूछिए, क्योंकि सवाल ही वह सीढ़ी है जो हमें ज्ञान के शिखर तक ले जाती है।