
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में शनिवार सुबह भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) के अनुसार, भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.2 मापी गई। इसका केंद्र शिमला से 253 किलोमीटर पूर्व में, जमीन से 35 किलोमीटर की गहराई पर था। यह भूकंप सुबह 5:28 बजे (IST) आया, जिसके बाद स्थानीय लोगों में हल्की दहशत फैल गई। कई निवासियों ने बताया कि वे झटके महसूस होने पर अपने घरों से बाहर निकल आए। हालांकि, राहत की बात यह रही कि इस घटना में किसी भी तरह के जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं मिली। मौसम विभाग ने पहले ही भारी बारिश और बर्फबारी की चेतावनी दी थी, जिसके चलते प्राकृतिक आपदाओं की आशंका बढ़ गई थी। प्रशासन ने स्थिति पर नजर रखते हुए लोगों से सतर्क रहने की अपील की है।
भूकंप के बाद लाहौल-स्पीति में हाल ही में ट्रैफिक जाम और भूस्खलन की घटनाओं ने भी चिंता बढ़ाई है। विशेषज्ञों ने सरकार से आपदा तैयारी को मजबूत करने की सलाह दी है। हिमाचल प्रदेश आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (HPSDMA) ने तत्काल प्रभाव से सभी जिलों में आपदा प्रबंधन इकाइयों को सक्रिय कर दिया है। शिमला के जिला मजिस्ट्रेट ने बताया कि भूकंप के बाद भवनों की सुरक्षा जांच शुरू कर दी गई है, खासकर पुरानी संरचनाओं की, जो भूकंप के दौरान अधिक जोखिम में होती हैं। स्थानीय लोगों को भूकंप से बचाव के लिए जागरूकता अभियान में भाग लेने की सलाह दी गई है।
हिमाचल और शिमला में बड़े भूकंप की घटनाएं
हिमाचल प्रदेश भूकंपीय जोन IV और V में आता है, जो इसे भूकंप के लिए अत्यधिक संवेदनशील बनाता है। पिछले 10 वर्षों में शिमला के 300 किलोमीटर के दायरे में 136 भूकंप (4 या उससे अधिक तीव्रता) दर्ज किए गए हैं, जो औसतन 13 भूकंप प्रति वर्ष का संकेत देता है। सबसे बड़ा हालिया भूकंप 4 अप्रैल 2024 को चंबा में 5.3 तीव्रता का था, जिसके झटके शिमला तक महसूस किए गए। इतिहास में, 4 अप्रैल 1905 को शिमला से 168 किलोमीटर उत्तर में कांगड़ा में 7.9 तीव्रता का भूकंप आया, जिसमें 20,000 से अधिक लोगों की जान गई और व्यापक तबाही हुई। यह क्षेत्र में अब तक का सबसे विनाशकारी भूकंप था। हाल के वर्षों में चंबा (3.1, 2020), किन्नौर (3.3, 2025), और मंडी (3.7, 2025) में भी भूकंप आए।
हिमाचल के बाहर, 25 नवंबर 2007 को दिल्ली-NCR में 4.8 तीव्रता का भूकंप आया, जिसके झटके शिमला तक पहुंचे। विशेषज्ञों का कहना है कि हिमालय क्षेत्र में तनाव बढ़ रहा है, जिससे बड़े भूकंप का खतरा बना हुआ है। भूवैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि हिमाचल में 8 तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है, जो बड़े पैमाने पर नुकसान कर सकता है। शिमला में आपदा प्रबंधन की तैयारियों को मजबूत करने की जरूरत पर बल दिया जा रहा है। इस घटना ने एक बार फिर हिमाचल के निवासियों को प्राकृतिक आपदाओं के प्रति जागरूक होने और तैयारी करने की याद दिलाई है। सरकार ने भूकंप प्रतिरोधी भवनों के निर्माण को बढ़ावा देने और आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण को अनिवार्य करने की योजना बनाई है।