
उत्तराखंड के मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने रविवार को कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। यह फैसला उनके दवारा इसी साल फ़रवरी माह में विधानसभा में की गई टिप्पणी के बाद उत्पन्न विवाद के बाद आया है। उन्होंने कहा था की उत्तराखंड सिर्फ पहाड़ियों के लिए नहीं बना है ।
वित्त और संसदीय कार्य जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे अग्रवाल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उनके आधिकारिक आवास पर अपना इस्तीफा सौंपा।
गौरतलब है कि 21 फरवरी को विधानसभा सत्र के दौरान प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा था कि उत्तराखंड केवल ‘पहाड़ियों’ के लिए नहीं बना है। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने तुरंत सदस्यों को विभाजनकारी भाषा के इस्तेमाल से बचने की सलाह दी और कहा कि उत्तराखंड के सभी निवासी उत्तराखंडी हैं।
अग्रवाल की इस टिप्पणी पर विपक्षी दलों और आम जनता ने कड़ा विरोध जताया और इसे पहाड़ी समुदाय का अपमान करार दिया। इसके बाद अग्रवाल ने विधानसभा में माफी मांगते हुए खेद व्यक्त किया और कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है।
इस विवाद के बाद उन्हें भाजपा मुख्यालय बुलाया गया, जहां प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और संगठन महासचिव अजय कुमार ने उनसे बातचीत की। बाद में महेंद्र भट्ट ने कहा कि अग्रवाल ने भविष्य में इस तरह की टिप्पणी न करने का आश्वासन दिया है और अपनी टिप्पणी पर खेद भी जताया है। पार्टी ने अपने सदस्यों को विवादास्पद बयान देने से बचने और सामाजिक समरसता बनाए रखने की हिदायत दी।
इस बीच, राज्यभर में अग्रवाल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए। गैरसैंण में ‘पहाड़ी स्वाभिमान रैली’ भी आयोजित की गई। विधानसभा में खेद प्रकट करने के अलावा, अग्रवाल हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर भी पहुंचे और वहां क्षमा याचना की।
अग्रवाल ने विपक्षी विधायकों के साथ बहस के दौरान एक आपत्तिजनक शब्द भी कह दिया था, जिससे राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों के लोगों में खास तौर पर नाराजगी बढ़ गई थी।
हालांकि, उन्होंने अपनी टिप्पणी पर खेद व्यक्त किया था और भाजपा के प्रदेश नेतृत्व ने भी उन्हें तलब कर संयम बरतने की हिदायत दी थी।