बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार साहू की रिहाई: हिरासत में यातना और नींद से वंचित करने की कहानी

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May 17, 2025

बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार साहू, जिन्हें 23 अप्रैल 2025 को पाकिस्तानी रेंजर्स ने हिरासत में लिया था, आखिरकार 14 मई 2025 को भारत को सौंप दिया गया। पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तैनात पूर्णम अनजाने में सीमा पार कर गए थे, जिसके बाद उनकी 21 दिनों की हिरासत ने भारत-पाक तनाव को और उजागर किया। उनकी पत्नी रजनी साहू ने बताया कि पूर्णम को हिरासत में मानसिक यातना दी गई, उन्हें नींद नहीं लेने दी गई और बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा गया। यह घटना पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के एक दिन बाद की है, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी।

पूर्णम, जो बीएसएफ की 24वीं बटालियन में तैनात थे, उस दिन किसानों की सुरक्षा के लिए सीमा पर गश्त कर रहे थे। वे छायादार जगह तलाशते हुए अनजाने में पाकिस्तानी क्षेत्र में चले गए, जहाँ पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें हिरासत में ले लिया। उनकी पत्नी रजनी ने बताया कि पूर्णम को 21 दिनों तक तीन अज्ञात स्थानों पर ले जाया गया, जिसमें एक हवाई अड्डा भी शामिल था, जहाँ उन्होंने विमानों की आवाज सुनी। इस दौरान उन्हें अक्सर आँखों पर पट्टी बाँधकर रखा गया और बीएसएफ की तैनाती और अधिकारियों की जानकारी के लिए उनसे पूछताछ की गई। पूर्णम ने बताया कि उन्हें शारीरिक रूप से तो नहीं मारा गया, लेकिन मानसिक तनाव दिया गया। उन्हें नींद नहीं लेने दी गई, दाँत साफ करने की अनुमति नहीं दी गई, और मौखिक रूप से अपमानित किया गया। रजनी ने कहा, “जब वे मुझसे फोन पर बात कर रहे थे, उनकी आवाज से थकान और नींद की कमी साफ झलक रही थी।”
हिरासत के दौरान पूर्णम को नियमित भोजन तो दिया गया, लेकिन बाथरूम जैसी बुनियादी जरूरतों से भी वंचित रखा गया। सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह सब उनकी मानसिक स्थिति को तोड़ने के लिए किया गया। पूर्णम, जो पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के रिशरा से हैं, 17 साल से बीएसएफ में सेवा दे रहे हैं।

14 मई को अटारी चेक पोस्ट पर पूर्णम को भारत को सौंपा गया। उनकी रिहाई भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को हुई एक समझौते के बाद संभव हो पाई, जिसमें दोनों देशों ने सीमा पर सैन्य गतिविधियाँ रोकने का फैसला किया था। रिहाई के बाद पूर्णम का मेडिकल चेकअप और डीब्रीफिंग की गई। बीएसएफ ने उन्हें सक्रिय ड्यूटी से हटा दिया है और उनकी मानसिक स्थिति को स्थिर बताया है। पूर्णम के पिता भोलानाथ साहू ने कहा, “मैं चाहता हूँ कि मेरा बेटा फिर से देश की सेवा करे।”
यह घटना सीमा पर तैनात जवानों की चुनौतियों को रेखांकित करती है। पूर्णम की रिहाई ने उनके परिवार को राहत दी, लेकिन उनकी हिरासत की कहानी भारत-पाक सीमा पर तनाव और जवानों के सामने आने वाली कठिनाइयों को उजागर करती है।