

ज्योति ने 2023 में कमीशन एजेंटों के जरिए पाकिस्तान का वीजा हासिल किया और वहाँ की यात्रा की। इस दौरान उसकी मुलाकात दिल्ली स्थित पाकिस्तान हाई कमीशन के कर्मचारी एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश से हुई, जिसके साथ उसके गहरे रिश्ते बने। एहसान-उर-रहीम, जिसे 13 मई 2025 को भारत से निष्कासित किया गया, ने ज्योति को कई पाकिस्तानी खुफिया ऑपरेटिव्स (PIO) से मिलवाया। उसने व्हाट्सएप, टेलीग्राम और स्नैपचैट के जरिए भारतीय स्थानों की संवेदनशील जानकारी साझा की और एक PIO के साथ रोमांटिक रिश्ता बनाकर बाली, इंडोनेशिया की यात्रा भी की। उसने सोशल मीडिया पर पाकिस्तान की सकारात्मक छवि को बढ़ावा दिया, खासकर जब भारत ने पहलगाम नरसंहार के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था।
सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि ज्योति ने केवल पाकिस्तान के लिए ही नहीं, बल्कि चीन और बांग्लादेश के लिए भी जासूसी की। उसने जून 2024 में चीन के हुआंगयान, ताइझोउ और फरवरी 2023 में बांग्लादेश के खुलना की यात्रा की। इसके अलावा, वह दिसंबर 2023 में नेपाल, दुबई और इंडोनेशिया भी गई। जांचकर्ताओं का मानना है कि इन यात्राओं के दौरान उसने संवेदनशील जानकारी साझा की होगी, जिससे भारत की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। उसने अपने संपर्कों के नंबर भ्रामक नामों से सेव किए ताकि शक न हो। खुफिया सूत्रों के अनुसार, ज्योति ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंट शाकिर (उर्फ राणा शहबाज) के साथ लगातार संपर्क बनाए रखा और संवेदनशील डेटा साझा किया।
हरियाणा पुलिस ने ज्योति के साथ पाँच अन्य लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें देवेंद्र सिंह ढिल्लों, पालक शेर मसीह, सूरज मसीह, जफर हुसैन और कैथल का एक अज्ञात व्यक्ति शामिल है। यह जासूसी नेटवर्क हरियाणा और पंजाब में सक्रिय था, जिसमें लोग एजेंट, वित्तीय चैनल और सूचनादाता की भूमिका निभा रहे थे। ज्योति पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152 और ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट, 1923 की धारा 3, 4 और 5 के तहत आरोप लगाए गए हैं। उसका लिखित कबूलनामा मिला है, और मामला हिसार की आर्थिक अपराध शाखा को सौंपा गया है। एक अन्य संदिग्ध, मलेरकोटला, पंजाब की 32 वर्षीय विधवा गुजाला भी इस मामले में शामिल है।
ज्योति की गतिविधियाँ भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा मानी जा रही हैं। उसकी गिरफ्तारी व्यापक निगरानी के बाद हुई, जिसने सीमा पार जासूसी और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की गहरी साजिश को उजागर किया। यह घटना भारत के लिए एक चेतावनी है कि जासूसी अब केवल सीमाओं तक सीमित नहीं, बल्कि डिजिटल और सोशल मीडिया के जरिए भी फैल रही है।