अपनी मधुर आवाज से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं दीपक चक्रवर्ती

In चंडीगढ़
June 02, 2025

चंडीगढ़ के 60 वर्षीय स्टेट आर्टिस्ट और गायक दीपक चक्रवर्ती अपनी मधुर आवाज से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। हालाँकि उनका परिवार मूल रूप से कोलकाता से है, लेकिन दीपक का जन्म और पालन-पोषण चंडीगढ़ में हुआ। उनका संगीतमय सफर 10 साल की उम्र में शुरू हुआ और आज भी वह गायन, शिक्षण और प्रदर्शन के माध्यम से संगीत की दुनिया में सक्रिय हैं। दीपक न केवल एक संगीत शिक्षक के रूप में विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं, बल्कि निजी संगीत कक्षाएं भी लेते हैं और स्थानीय रेस्तरां में गायन करते हैं। उनके माता-पिता और तीन भाइयों सहित उनका पूरा परिवार संगीतकार और गायक रहा है, और अब उनका बेटा भी इस समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ा रहा है। यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी संगीत का हस्तांतरण उनके परिवार की गहरी जड़ें और संगीत के प्रति अटूट प्रेम को दर्शाता है।

दादा बनने के बावजूद, दीपक लोगों का मनोरंजन करना जारी रखे हुए हैं। चंडीगढ़ के राम दरबार इलाके में रहने वाले दीपक की आवाज में गजब का जादू है, जिससे वह किशोर कुमार, येसुदास और हरिहरन जैसे दिग्गज गायकों के लोकप्रिय गाने आसानी से गा पाते हैं। उनकी गायकी की तुलना अक्सर कुमार सानु से की जाती है, जो उनकी प्रतिभा का प्रमाण है। उनके प्रदर्शन, चाहे रेस्तरां में हों या सामुदायिक आयोजनों में, दर्शकों को भावनाओं और उत्साह से गहराई से जोड़ते हैं। उनकी आवाज में एक ऐसी कशिश है जो श्रोताओं को अतीत की यादों में ले जाती है, और उनकी प्रस्तुति में इतनी ऊर्जा होती है कि लोग झूमने लगते हैं। यह सिर्फ गायन नहीं, बल्कि भावनाओं का एक ऐसा प्रवाह है जो हर सुनने वाले के दिल को छू लेता है।

एक संगीतमय मुलाकात और छिपी प्रतिभा
मैंने पहली बार पंचकूला के सिंधी स्वीट्स रेस्तरां में दीपक के मंत्रमुग्ध कर देने वाले गायन का अनुभव किया था। उनकी प्रस्तुति ने मुझे तुरंत प्रभावित किया, और मैं तुरंत ही उनका प्रशंसक बन गया। उसके बाद मैंने उनके कई शो देखे, जिससे मुझे उनकी उल्लेखनीय प्रतिभा को और गहराई से समझने का अवसर मिला। प्रत्येक प्रदर्शन के साथ, उनकी कला के प्रति मेरा सम्मान बढ़ता गया। उनसे बातचीत करने पर उनके संघर्षों और उपलब्धियों का पता चला। यह जानकर मुझे आश्चर्य हुआ कि इतनी शानदार आवाज के बावजूद दीपक को वह व्यापक पहचान नहीं मिली जिसके वह वास्तव में हकदार हैं। यह विडंबना ही है कि इतनी प्रतिभा अक्सर बड़े मंच से वंचित रह जाती है।

मुझे याद है कि एक बार टी-सीरीज म्यूजिक कंपनी ने उन्हें एक प्रोजेक्ट के लिए बुलाया था। यह एक ऐसा अवसर था जो शायद उनके जीवन को बदल सकता था, लेकिन दुर्भाग्य से, वह अवसर पूरा नहीं हो सका। यह उनके लिए एक बड़ा झटका रहा होगा, एक निराशा जिसने शायद उनके सपनों को चूर-चूर कर दिया होगा। लेकिन इस झटके के बावजूद, दीपक ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी ऊर्जा को गायन और शिक्षण में लगाया, अपनी कला को परिष्कृत करना जारी रखा और युवा प्रतिभाओं को तराशने में जुट गए। यह उनकी अटूट भावना और संगीत के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। उन्होंने साबित किया कि प्रसिद्धि से अधिक महत्वपूर्ण कला के प्रति सच्ची लगन होती है।

चंडीगढ़ के सांस्कृतिक परिदृश्य पर उनका प्रभाव निर्विवाद

दीपक की कहानी प्रतिभा और दृढ़ता का एक उज्ज्वल उदाहरण है। हालाँकि उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि नहीं मिली होगी, लेकिन चंडीगढ़ के सांस्कृतिक परिदृश्य पर उनका प्रभाव निर्विवाद है। उन्होंने अनगिनत युवाओं को संगीत की ओर प्रेरित किया है और अपनी जादुई आवाज से हजारों दिलों को छुआ है। उनका प्रत्येक प्रदर्शन संगीत के प्रति उनके आजीवन समर्पण का उत्सव है, और उनकी हर कक्षा अगली पीढ़ी के संगीतकारों में एक निवेश है। वह सिर्फ एक गायक नहीं, बल्कि एक संगीतमय विरासत के संरक्षक हैं। वह एक ऐसी मशाल लेकर चल रहे हैं जो संगीत की लौ को लगातार जलाए रखती है, यह सुनिश्चित करते हुए कि आने वाली पीढ़ियां भी इसकी रोशनी से रोशन हों।

उनके परिवार ने इस संगीतमय परंपरा को कायम रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके माता-पिता और भाइयों से लेकर उनके बेटे तक, संगीत उनके परिवार के लिए एक एकजुट करने वाली शक्ति रही है। यह सिर्फ एक शौक नहीं, बल्कि उनके जीवन का एक अभिन्न अंग है, एक ऐसी डोर जो उन्हें एक साथ बांधे रखती है। अब, एक दादा के रूप में, दीपक अपने परिवार और समुदाय के साथ संगीत का आनंद साझा करना जारी रखते हैं। राम दरबार में उनका घर सिर्फ एक निवास स्थान नहीं है; यह रचनात्मकता का एक केंद्र है, जहाँ धुनें और उनके प्रदर्शन की कहानियाँ गूंजती हैं। यह एक ऐसा स्थान है जहाँ संगीत सांस लेता है, जहाँ नई धुनें जन्म लेती हैं और जहाँ पुरानी यादें ताजा होती हैं। दीपक का जीवन वास्तव में संगीत के प्रति उनके अटूट प्रेम को दर्शाता है। वह न केवल गाते हैं बल्कि अपने छात्रों को संगीत की बारीकियां भी सिखाते हैं, जिससे चंडीगढ़ की सांस्कृतिक विरासत जीवंत रहती है। उनके प्रदर्शन स्थानीय लोगों के लिए एक प्रमुख आकर्षण हैं, और उनकी गायकी में एक जादुई गुण है जो पुराने बॉलीवुड क्लासिक्स में नई जान डाल देता है। उनकी आवाज में वो जादू है जो हर गीत को एक नया आयाम देता है।

सच्चा कलाकार कभी हार नहीं मानता :दीपक चक्रवर्ती 

निष्कर्ष में, दीपक चक्रवर्ती एक गायक से कहीं अधिक हैं; वह एक शिक्षक, एक कलाकार और एक प्रेरक व्यक्तित्व हैं जो एक समृद्ध संगीतमय विरासत को जीवित रखते हैं। उनकी यात्रा, भले ही एक बड़े मंच की कमी से चिह्नित हो, हमें सिखाती है कि प्रतिभा और जुनून व्यापक प्रसिद्धि के बिना भी चमक सकते हैं। उनकी कहानी इस बात का प्रमाण है कि सच्चा कलाकार कभी हार नहीं मानता, और वह अपनी कला के माध्यम से समाज पर एक अमिट छाप छोड़ता है। चंडीगढ़ को ऐसे कलाकार पर गर्व है, और जिन्होंने अभी तक उनके गायन का अनुभव नहीं किया है, उनके लिए दीपक चक्रवर्ती का प्रदर्शन एक अविस्मरणीय अनुभव है। जैसे-जैसे वह गाना, पढ़ाना और प्रेरित करना जारी रखते हैं, दीपक यह साबित करते हैं कि संगीत सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि एक जीवन शैली है जिसे वह अत्यंत समर्पण और शालीनता के साथ जीते हैं। उनकी विरासत सिर्फ उनके गीतों में नहीं, बल्कि उनके छात्रों और उनके समुदाय के दिलों में भी जीवित रहेगी, जिन्हें उन्होंने अपनी कला से छुआ है। क्या आप भी इस अद्भुत कलाकार के प्रदर्शन का अनुभव करना चाहेंगे?