
हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सोमवार को विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए ₹58,514 करोड़ का कर-मुक्त बजट पेश किया, जिसमें कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और स्वास्थ्य सुविधाओं को सुधारने पर विशेष जोर दिया गया है।
वित्त विभाग का कार्यभार संभालने वाले सुक्खू अपनी व्यक्तिगत ऑल्टो कार चलाकर विधानसभा पहुंचे और अपना तीसरा बजट पेश किया। उन्होंने 98 पृष्ठों का बजट भाषण हिंदी में पढ़ा, जिसमें उन्हें दो घंटे 54 मिनट का समय लगा। इस वर्ष के बजट में कृषि एवं सहायक क्षेत्रों तथा पर्यटन को प्राथमिकता देते हुए नई योजनाओं की घोषणा की गई। उन्होंने बताया कि 2025-26 में कुल राजकोषीय घाटा ₹10,338 करोड़ रहने का अनुमान है, जो राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 4.04 प्रतिशत है।
राजस्व और व्यय का अनुमान
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कुल राजस्व प्राप्तियां – ₹42,343 करोड़
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कुल राजस्व व्यय – ₹48,733 करोड़
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कुल राजस्व घाटा – ₹6,390 करोड़
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रत्येक 1 रुपये में केवल 24 पैसे ही विकास कार्यों के लिए बचेंगे।
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25 पैसे वेतन पर,
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20 पैसे पेंशन पर,
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12 पैसे ब्याज भुगतान पर,
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10 पैसे ऋण भुगतान पर, और
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9 पैसे स्वायत्त निकायों को अनुदान देने में खर्च होंगे।
उन्होंने कहा कि बजट का मुख्य उद्देश्य राज्य की बिगड़ी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है। “हमने 11 दिसंबर 2022 को सरकार बनाई, और पिछली भाजपा सरकार द्वारा छोड़े गए भारी वित्तीय दायित्वों और ₹76,185 करोड़ के ऋण का सामना करना पड़ा,” उन्होंने कहा।
2025-26 आर्थिक रूप से कठिन वर्ष होगा
बजट भाषण की शुरुआत में ही मुख्यमंत्री ने आगाह किया कि 2025-26 आर्थिक रूप से राज्य के लिए सबसे कठिन वर्षों में से एक हो सकता है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार राज्य के वाजिब हक के लिए संघर्ष जारी रखेगी। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि ऋण लेने और बाह्य सहायतित परियोजनाओं के तहत फंडिंग पर सख्त शर्तें लगाने की वजह से हिमाचल आर्थिक रूप से उपेक्षित हो रहा है।
उन्होंने बताया कि राजस्व घाटा अनुदान (RDG) 2025-26 में घटकर ₹3,257 करोड़ रह गया है, जबकि पिछले वर्ष यह ₹6,258 करोड़ था, जिससे राज्य की वित्तीय स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण हो गई है।
आपदा राहत और अन्य वित्तीय मांगें
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल 2023 के मानसून के दौरान हुई आपदाओं के लिए ₹9,000 करोड़ की पोस्ट डिजास्टर नीड असेसमेंट (PDNA) राहत राशि जारी होने का इंतजार कर रहा है। इसके अलावा, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) कर्मचारियों का ₹9,000 करोड़ से अधिक का अंशदान केंद्र के पास अटका हुआ है।
मजदूरी और रोजगार पर अहम घोषणाएं
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मनरेगा मजदूरों की दिहाड़ी ₹300 से बढ़ाकर ₹320 की गई।
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अन्य दैनिक वेतनभोगियों की मजदूरी ₹400 से बढ़ाकर ₹425 की गई।
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पंचायती राज और शहरी निकाय प्रतिनिधियों के मानदेय में वृद्धि की गई।
बेरोजगारी को एक प्रमुख मुद्दा मानते हुए, मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि विभिन्न विभागों में 25,000 नई नौकरियां सृजित की जाएंगी, जिसमें 1,000 रोगी मित्र (Rogi Mitras) भी शामिल होंगे।